Ahmad Faraz Shayari जगत में वो नाम, वो सितारा है, जिसे अच्छी शायरी पसंद करने वाले सौ फीसदी लोग जानते हैं, Ahmad Faraz के बारे में जितना कहा जाय कम ही होगा, क्यूंकि उनकी शख्सियत को चंद लफ़्ज़ों में बिलकुल नहीं समेटा या रखा जा सकता है।
आज Ahmad Faraz Shayari In Hindi के इस पोस्ट में आप Ahmad Faraz की कुछ बेहतरीन शायरी देखेंगे।
कोहट, ख़ैबर पुख़्तुंख़ुवा के एक प्रतिष्ठित घर में, 14 जनवरी 1931 की गुनगुनी सर्दियों में एक रूमानी शक्सियत ने एक बच्चे की शक्ल में जन्म लिया. जिसका नाम सैयद अहमद शाह रखा गया।
फ़राज़ जब छोटे थें तो एक बार उनके वालिद ने उनके लिए एक कश्मीरा ख़रीदा था. मगर वो अपने भाई को मिलने वाले सूट से नाराज़ थे सो, उन्होंने उसी वक़्त लिखा था
जब के सब के वास्ते लाये हैं कपड़े सेल से
लाये हैं मेरे लिए क़ैदी का कम्बल जेल से
Jab ke sab ke vaaste laaye hain kapre sale se
Laaye hain mere liye qaidii ka kambal jail se
Ahmad Faraz की मातृभाषा पश्तो होने के बावजूद उन्हें उर्दू से बेहद प्यार और लगाव था. Ahmad Faraz ने उर्दू में एम.ए. की डिग्री ली थी।
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की सलाह को मानते हुए अहमद फ़राज़ ने अपना उपनाम “फ़राज़” रक्खा और पूरी दुनिया में मशहूर हुए अहमद फ़राज़।

फ़राज़ की शायरी जहाँ रूहानी तौर पर आपकी रूह को छूने का माद्दा रखती है, वहीँ उनकी बेबाकी और तीखे तंज़ भी सीधे तौर पे आप पर असर करते हैं.।
ज़ुल्म और बेइंसाफी के खिलाफ फ़राज़ कभी चुप नहीं रहें और हमेशा बोलते रहें. और इसका खमियाजा भी भुगता।
फ़राज़ अपने शुरुआती दौर नें काफी हद तक रोमांटिक उर्दू शायरी और ग़ज़ले लिखते थें, मगर 1970 के दशक तक वह एक पूर्ण प्रगतिशील और राज्य के कटु आलोचक बन गए थे। बांग्लादेश और बलूचिस्तान में सेना के अत्याचारों से निराश और निराश, फ़राज़ ने उस वक़्त एक कविता लिखी जिसने उन्हे अपनी सरकार के लिए देशद्रोही बना दिया और उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया।
अपने बागी तेवर के अलावे फ़राज़ को उनकी रूमानी शायरी और मोहब्बत में डूबी ग़ज़लों के लिए भी जाना जाता था.
Ahmad Faraz ki shayari ने उस वक़्त के बहोत सारे अनछुए एहसासों को अपनी शायरी के जरिये लोगों तक पहुँचाया और लोगों को एक ननई दुनिया से परिचित कराया था अपने अल्फाजों के जरिये। Faraz Ahmad Faraz Shayari में अपणी बातों को जादुई तरीके से पेश करते थे।
Ahmad Faraz को बहोत सारे देशों में बहोत सारे पुरुस्कार और सम्मानों से नवाज़ा गया है. एक बेहद उम्दा शायर और इंसान थे अहमद फ़राज़।
फ़राज़ को अच्छी तरह से पता था कि लोगग उन्हें कितना प्यार करते हैं तभी तो उन्होंने ख़ुद ही कहा था –

“और ‘फ़राज़’ चाहिएँ कितनी मोहब्बतें तुझे
माओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया”
I am presenting a fine collection of Shayari Of Ahmad Faraz In Hindi. I am very much sure that you all would just love these heart touching Ahmad Faraz Shayari In Hindi.
आइये देखते और पढते हैं Ahmad Faraz Shayari और डूब जाते हैं कुछ बेहतरीन ahmad faraz shayari 2 lines में।
Ahmad Faraz Shayari In Hindi

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
Ranjish hi sahi dil hi dukhaane ke lie aa
Aa fir se mujhe chhod ke jaane ke lie aa
Also, Read – Best Laptops Below Rs 40000
कुछ मुश्किलें ऐसी हैं कि आसाँ नहीं होतीं
कुछ ऐसे मुअम्मे हैं कभी हल नहीं होते
Kuchh mushkilen aisi hain ki asaan nahin hotin
Kuchh aise muamme hain kabhi hal nahin hote
इक तो हम को अदब आदाब ने प्यासा रक्खा
उस पे महफ़िल में सुराही ने भी गर्दिश नहीं की
Ik toh hum ko adab adab ne pyaasa rakha
Us pay mehfil mein surahi ne bhi gardish nahi ki
अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं
‘फ़राज़’ अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं
Abhi kuchh aur karishme ghazal k dekhate hain
‘Faraz’ ab zara lahaja badal ke dekhate hain
तेरे होते हुए आ जाती थी सारी दुनिया
आज तन्हा हूँ तो कोई नहीं आने वाला
Tere hote hue a jaati thi saari duniya
Aaj tanha hoon toh koi nahi aane wala
Ahmad Faraz Shayari 2 Lines

‘फ़राज़’ इश्क़ की दुनिया तो ख़ूब-सूरत थी
ये किस ने फ़ित्ना-ए-हिज्र-ओ-विसाल रक्खा है
‘Faraz’ ishq ki duniya to khoob-surat thi
Ye kis ne fitna-a-hijra-o-visal rakha hai
जाने किस आलम में तू बिछड़ा कि है तेरे बग़ैर
आज तक हर नक़्श फ़रियादी मिरी तहरीर का
Jaane kis alam mein tu bichhada ki hai tere bagair
Aaj tak har naqsh fariyadi miri tahrir ka

किस को बिकना था मगर ख़ुश हैं कि इस हीले से
हो गईं अपने ख़रीदार से बातें क्या क्या
Kis ko bikana tha magar khush hain ki is heeley se
Ho gain apne kharidar se baaten kya kya
Two line shayari ahmad faraz
तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें
Tu khuda hai na mira ishq farishton jaisa
Dono insaan hain toh kyun itne hijaabon men milen
ये कौन फिर से उन्हीं रास्तों में छोड़ गया
अभी अभी तो अज़ाब-ए-सफ़र से निकला था
Ye kaun fir se unhin raaston men chhod gaya
Abhi abhi toh azab-a-safar se nikala tha
Ahmad Faraz Dard Bhari Shayari

ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का ‘फ़राज़’
ज़ालिम अब के भी न रोएगा तो मर जाएगा
Jabt lazim hai magar dukh hai kayamat ka
‘Faraz’ Zaalim ab ke bhi na roega to mar jayega
ये अब जो आग बना शहर शहर फैला है
यही धुआँ मिरे दीवार ओ दर से निकला था
Ye ab jo aag bana shahar shahar faila hai
Yahi dhuan mire deewar o dar se nikala tha
अहमद फ़राज़ शायरी इन हिंदी

मैं क्या करूँ मिरे क़ातिल न चाहने पर भी
तिरे लिए मिरे दिल से दुआ निकलती है
Main kya karun mire katil na chahne par bhi
Tire lie mire dil se dua nikalati hai
तेरे बग़ैर भी तो ग़नीमत है ज़िंदगी
ख़ुद को गँवा के कौन तिरी जुस्तुजू करे
Tere bagair bhi to ganimat hai zindagi
Khud ko ganva ke kaun tiri justuju kare
Ahmad Faraz Love Shayari In Hindi

न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं
अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं
Na manzilo ko na hum rehguzar ko dekhate hain
Ajab safar hai ki bas hum-safar ko dekhate hain
दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है
जो किसी और का होने दे न अपना रक्खे
Dil bhi pagal hai ki us shakhs se babasta hai
Jo kisi aur ka hone de na apna rakkhe
अहमद फ़राज़ शायरी २ लाइन्स
अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे “फ़राज़”
क्यूँ तन्हा से हो गए हैं तेरे जाने के बाद
Akele to ham pahle bhi ji rahe the “Faraz”
Kyun tanha se eho gayye hai tere jaane ke baad
तू इतनी दिल-ज़दा तो न थी ऐ शब-ए-फ़िराक़
आ तेरे रास्ते में सितारे लुटाएँ हम
Tu itni dil-zada to na thi ai shab-e-firaq
Aa tere raste men sitaare lutaaen hum
भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब
कि जैसे तू ने हथेली पे गाल रक्खा है
Bhari bahar mein ek shaakh par
khila hai gulaab Ki jaise tu ne
Hatheli pe gaal rakha hai
Ahmad Faraz Heart Touching Shayari

दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है
और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता
Dil ko tiri chaahat pe bharosa bhi bahut hai
Aur tujh se bichhad jaane ka dar bhi nahin jaata
किसे ख़बर वो मोहब्बत थी या रक़ाबत थी
बहुत से लोग तुझे देख कर हमारे हुए
Kise khabar wo mohabbat thi ya raqabat thi
Bahut se log tujhe dekh kar hamare hue
वो अपने ज़ोम में था बे-ख़बर रहा मुझ से
उसे ख़बर ही नहीं मैं नहीं रहा उस का
Wo apane zome mein tha bay-khabar raha mujh se
Use khabar hi nahin main nahin raha us ka
Ahmad Faraz Shayari 2 Lines Hindi

न मिरे ज़ख़्म खिले हैं न तिरा रंग-ए-हिना
मौसम आए ही नहीं अब के गुलाबों वाले
Na mire zakham khile hain na tira rang-a-hina
Mausam aye hi nahin ab ke gulaabon vale
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
Ab ke hum bichhade to shayad
Kabhi khwabon mein milen
Jis tarah sukhe hue fool kitaabon men milen
Faraz Shayari On Life
इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब
इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम
Is zindagi mein itani faraght kise naseeb
Itna na yaad aa ke tujhe bhool jaaen ham
अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम
ये भी बहुत है तुझ को अगर भूल जाएँ हम
Ab aur kya kisi se marasim badhaaen hum
Ye bhi bahut hai tujh ko agar bhul jaaen ham
Ahmad Faraz Shayari On Love
आशिक़ी में ‘मीर’ जैसे ख़्वाब मत देखा करो
बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो
Aashiqui mein ‘meer’ jaise khwab mat dekha karo
Bawle ho jaaoge mahtab mat dekha karo
अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझ से हैं उमीदें
ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ
Ab tak dil-e-khush-fahm ko tujh se hain umiden
Ye akhiri shamen bhi bujhaane ke lie a
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला
Dost ban kar bhi nahin saath nibhaane wala
Wahi andaaz hai zaalim ka zamaane wala
अहमद फ़राज़ शायरी २ लाइन्स

हम तिरे शौक़ में यूँ ख़ुद को गँवा बैठे हैं
जैसे बच्चे किसी त्यौहार में गुम हो जाएँ
Hum tire shauq men yun khud ko ganva baithe hain
Jaise bachche kisi tyauhar men gum ho jaaen
बहुत दिनों से नहीं है कुछ उस की ख़ैर ख़बर
चलो ‘फ़राज़’ को ऐ यार चल के देखते हैं
Bahut dinon se nahin hai kuchh us key khair khabar
Chalo ‘faraz’ ko ai yaar chal ke dekhate hain
और ‘फ़राज़’ चाहिएँ कितनी मोहब्बतें तुझे
माओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया
Aur ‘faraz’ chaahiyen kitani mohabbatein tujhe
Maon ne tere naam par bachchon ka naam rakh diya
वो वक़्त आ गया है कि साहिल को छोड़ कर
गहरे समुंदरों में उतर जाना चाहिए
Wo wakt aa gaya hai ki sahil ko chhod kar
Gahre samundaron men utar jana chahiye
Heart Touching Ahmad Faraz Shayari In Hindi

ये दिल का दर्द तो उम्रों का रोग है प्यारे
सो जाए भी तो पहर दो पहर को जाता है
Ye dil ka dard to umron ka rogue hai pyaare
So jaye bhi to pahar do pahar ko jaata hai
जो ग़ज़ल आज तिरे हिज्र में लिक्खी है वो कल
क्या ख़बर अहल-ए-मोहब्बत का तराना बन जाए
Jo ghazal aaj tire hijr mein likkhi hai wo kal
Kya khabar ahal-e-mohabbat ka tarana ban jaye
अहमद फ़राज़ शायरी
क़ुर्बतें लाख ख़ूब-सूरत हों
दूरियों में भी दिलकशी है अभी
Kurbaten lakh khoob-surat hon
Duriyon mein bhi dilakashi hai abhi
तुझ से मिल कर तो ये लगता है कि ऐ अजनबी दोस्त
तू मिरी पहली मोहब्बत थी मिरी आख़िरी दोस्त
Tujh se mil kar to ye lagata hai ki ai ajanabi dost
Tu miri pehli mohabbat the miri akhiri dost
Ahmad Faraz Two Line Shayari

कितने नादाँ हैं तिरे भूलने वाले कि तुझे
याद करने के लिए उम्र पड़ी हो जैसे
Kitne naadaan hain tire bhoolne wale ki tujhe
Yaad karne ke liye umr padi ho jaise
बंदगी हम ने छोड़ दी है ‘फ़राज़’
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ
Bandagi hum ne chhod di hai ‘Faraz’
Kya karen log jab khuda ho jaaen
शिकवा-ए-ज़ुल्मत-ए-शब से तो कहीं बेहतर था
अपने हिस्से की कोई शम्अ’ जलाते जाते
Shikva-a-julmat-e-shab se to kahin behtar tha
Apne hisse ki koi shama’ jalaate jaate
आइये अहमद फ़राज़ साहब की एक ग़ज़ल देखते हैं। ये फ़राज़ की मशहूर ग़ज़ल है और आज भी लोग इसमें खो जाते हैं। इस बेहतरीन दिल को छू लेने वाली ग़ज़ल को बहोत सारे महान गायकों ने अपनी आवाज़ में गया है। और ये मेरी पसंदीदा ग़ज़लों में से एक है।
नज़र डालें आप भी इस खूबसूरत ग़ज़ल पे।
अहमद फ़राज़ ग़ज़ल रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ
पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
इक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूम
ऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ
अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझ से हैं उम्मीदें
ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ
क्या हुआ ज़नाब? खो गएँ न फ़राज़ की ग़ज़ल में ? इस ग़ज़ल को अगर आप मेहँदी हसन, गुलाम अली, या जगजीत सिंह साहब की आवाज़ में सुनें तो मन नहीं भरेगा सुनके बार बार भी । मेरे चहेते सिंगर इस ग़ज़ल के लिए मेहँदी हसन साहब हैं। एक बार ज़रूर सुनें उनकी आवाज़ में ये ग़ज़ल।
Ak aur Ahmad Faraz Ki Mashoor Ghazal – सुना है लोग उसे आँख

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं
सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से
सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं
सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उस की
सो हम भी उस की गली से गुज़र के देखते हैं
सुना है उस को भी है शेर ओ शाइरी से शग़फ़
सो हम भी मो’जिज़े अपने हुनर के देखते हैं
सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं
ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं
सुना है रात उसे चाँद तकता रहता है
सितारे बाम-ए-फ़लक से उतर के देखते हैं
सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं
सुना है रात को जुगनू ठहर के देखते हैं
सुना है हश्र हैं उस की ग़ज़ाल सी आँखें
सुना है उस को हिरन दश्त भर के देखते हैं
सुना है रात से बढ़ कर हैं काकुलें उस की
सुना है शाम को साए गुज़र के देखते हैं
सुना है उस की सियह-चश्मगी क़यामत है
सो उस को सुरमा-फ़रोश आह भर के देखते हैं
सुना है उस के लबों से गुलाब जलते हैं
सो हम बहार पे इल्ज़ाम धर के देखते हैं
सुना है आइना तिमसाल है जबीं उस की
जो सादा दिल हैं उसे बन-सँवर के देखते हैं
सुना है जब से हमाइल हैं उस की गर्दन में
मिज़ाज और ही लाल ओ गुहर के देखते हैं
सुना है चश्म-ए-तसव्वुर से दश्त-ए-इम्काँ में
पलंग ज़ाविए उस की कमर के देखते हैं
सुना है उस के बदन की तराश ऐसी है
कि फूल अपनी क़बाएँ कतर के देखते हैं
वो सर्व-क़द है मगर बे-गुल-ए-मुराद नहीं
कि उस शजर पे शगूफ़े समर के देखते हैं
Ahmad Faraz Best Poetry

बस इक निगाह से लुटता है क़ाफ़िला दिल का
सो रह-रवान-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं
सुना है उस के शबिस्ताँ से मुत्तसिल है बहिश्त
मकीं उधर के भी जल्वे इधर के देखते हैं
रुके तो गर्दिशें उस का तवाफ़ करती हैं
चले तो उस को ज़माने ठहर के देखते हैं
किसे नसीब कि बे-पैरहन उसे देखे
कभी कभी दर ओ दीवार घर के देखते हैं
कहानियाँ ही सही सब मुबालग़े ही सही
अगर वो ख़्वाब है ताबीर कर के देखते हैं
अब उस के शहर में ठहरें कि कूच कर जाएँ
‘फ़राज़’ आओ सितारे सफ़र के देखते हैं
फ़राज़ की एक नज़्म पेश है आपके लिए

मुझ से पहले तुझे जिस शख़्स ने चाहा उस ने
शायद अब भी तिरा ग़म दिल से लगा रक्खा हो
एक बे-नाम सी उम्मीद पे अब भी शायद
अपने ख़्वाबों के जज़ीरों को सजा रक्खा हो
मैं ने माना कि वो बेगाना-ए-पैमान-ए-वफ़ा
खो चुका है जो किसी और की रानाई में
शायद अब लौट के आए न तिरी महफ़िल में
और कोई दुख न रुलाये तुझे तन्हाई में
मैं ने माना कि शब ओ रोज़ के हंगामों में
वक़्त हर ग़म को भुला देता है रफ़्ता रफ़्ता
चाहे उम्मीद की शमएँ हों कि यादों के चराग़
मुस्तक़िल बोद बुझा देता है रफ़्ता रफ़्ता
फिर भी माज़ी का ख़याल आता है गाहे-गाहे
मुद्दतें दर्द की लौ कम तो नहीं कर सकतीं
ज़ख़्म भर जाएँ मगर दाग़ तो रह जाता है
दूरियों से कभी यादें तो नहीं मर सकतीं
ये भी मुमकिन है कि इक दिन वो पशीमाँ हो कर
तेरे पास आए ज़माने से किनारा कर ले
तू कि मासूम भी है ज़ूद-फ़रामोश भी है
उस की पैमाँ-शिकनी को भी गवारा कर ले
और मैं जिस ने तुझे अपना मसीहा समझा
एक ज़ख़्म और भी पहले की तरह सह जाऊँ
जिस पे पहले भी कई अहद-ए-वफ़ा टूटे हैं
इसी दो-राहे पे चुप-चाप खड़ा रह जाऊँ
Ahmad Faraz Best Nazm
Mujh se pahale tujhe jis shakhs ne chaaha us ne
Shayad ab bhi tira gm dil se laga rakha ho
Ak bay-naam see ummid pe ab bhi shayad
Apne khwabon k jaziron ko saja rakha ho
Main ne maana ki woh begaana-a-paimaan-e-wafa
Kho chuka hai jo kisi aur ki ranai mein
Shayad ab laut ke aye na tiri mehfil mein
Aur koi dukh na rulaaye tujhe tanhai mein
Main ne maana ki shab o rose k hangamo mein
Wakt har gam ko bhula deta hai rafta rafta
Chaahe ummid ki shamen hon ki yaadon ke charaag
Mustakil bod bujha deta hai rafta rafta
Fir bhi mazi ka khyaal aata hai gahe-gahe
Muddaten dard ki lau come to nahi kar saktin
Zakham bhar jaaen magar daag to rah jaata hai
Duriyon se kabhi yaaden toh nahi mar saktin
Ye bhi mumkin hai ki ek din wo pashimaan ho kar
Tere paas aye zamaane se kinara kar le
Tu ki masoom bhi hai zud-faramosh bhi hai
Us key paimaan-shikani ko bhi gavara kar le
Aur main jis ne tujhe apana masiha samjha
Ak zakham aur bhi pahale ki tarah sah jaaun
Jis pe pahale bhi kai ahad-e-wafa tute hain
Isi do-rahe pay chup-chop khada rah jaaun
चल गया न फिर से फ़राज़ का जादू आप पे? बस ऐसे ही पूरी दुनिया को अपने तिलस्मी शायरी, ग़ज़ल और नज़्मों से अपना दीवाना बना लेते थे अहमद फ़राज़ साहब।
बहोत जल्द मैं अहमद फ़राज़ साहब के कुछ और शेर और नज़्म लेके हाज़िर होऊंगा। इसलिए आते रहें मेरे इस वेबसाइट पे और लुत्फ़ लें अच्छी शायरी का।
उम्मीद है मुझे कि, आप लोगों को Ahmad Faraz Shayari In Hindi – Ahmad Faraz Shayari 2 Lines पोस्ट ज़रूर पसंद आयी होगी। इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें ताकि वो भी फ़राज़ शायरी से लुत्फ़ ले सकें।
आपके वक़्त का बहोत बहोत शुक्रिया।