Nida Fazli Shayari, को पढ़ने आये दोस्तों को मेरी नमस्ते! निदा फ़ाज़ली शायरी की दुनिया में कोई ऐसा नाम नहीं, जिसे कोई जानता न हो।
12 Oct 1938 दिल्ली में पैदा हुए निदा फ़ाज़ली साहब का पूरा नाम मुक़तदा हसन फ़ाज़ली था। बाद में उन्होंने “निदा'” उपनाम से लिखना शुरू किया और वो Nida Fazli बन गएँ। Nida Fazli Shayari की दुनिया में आज के कबीर कही जाते थे
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए
ये मशहूर और ज़िन्दगी के सही मायने बताने वाले निदा फ़ाज़ली शायरी उनके सूफियाना अंदाज़ को बहोत ही खूबसूरती से बयां करते हैं।
अपनी पढाई पूरी करने के बाद निदा फ़ाज़ली साहब ने आम लोगों की तरह ही नौकरी ढूंढने की हज़ारों कोशिशें की, और नाकाम होने के बाद वो मुंबई चले गएँ। शुरुआत में उन्हें काफी तकलीफें उठानी पड़ी।

मगर वो धीरे धीरे लोगो में बतौर शायर अपनी एक पहचान बना चुके थे, और लोग उन्हे जान्ने और पहचानने लगे थे। 1971 में उन्होंने अपनी नज़्मों और शायरी और गीतों की किताब “लफ़्ज़ों का पुल” प्रकाशित करवा। इस किताब में , निदा फ़ाज़ली की नई सोच और बिलकुल नए अंदाज़ में सूफियाना ढंग से बड़ी से बड़ी बातें कह देने का अंदाज़ लोगों को बेहद पसंद आया और निदा फ़ाज़ली को लोगो ने हाथों हाथ सर पे बिठा लिया।
यहीं से उनकी फ़िल्मी दुनिया में एंट्री होने की सूरत बानी और उन्होंने फिल्म रज़िया सुल्तान में दो गीत लिखें। धीरे धीरे उन्हे फिल्मों में संवाद और गीत लिखने का काम मिलने लगा और वो एक मुकाम पैर पहुंचने के सफर में आगे बढ़ने लगें। निदा फाजली हिंदी शायरी की दुनिया में अपनी पहचान बना चुके थे।
हालांकि वो गुलज़ार साहब जैसे ऊँचे कद तो नहीं बना सके फिल्म इंडस्ट्री में, मगर अपनी ज़बरदस्त छाप ज़रूर छोड़ी उन्होंने।
निदा फ़ाज़ली शायर के तौर पे तो बेहद सम्मानित थे एक इंसान के तौर पे भी उन्होंने अपनी ज़बरदस्त छाप छोड़ी है।
Nida Fazli को उनकी किताब “खोया हुआ सा कुछ” के लिए 1998 में साहित्य अकादमी अवार्ड दिया गया। 2013 में निदा फ़ाज़ली साहब को पद्मश्री के सम्मान से नवाज़ा गया।
जब आप Nida Fazli Shayari, को पढ़ते और सुनते हैं तो, आप उनके शब्दों के चयन को लहर हैरान हो जाते हैं, कितने ही जाने पहचाने घरेलु चीज़ों को किस खूबसूरती से निदा फ़ाज़ली साहब अपनी शायरी और ग़ज़लों में ढाल देते थे। यही खूबसूरती है Nida Fazli Shayari की।
Nida Fazli Shayari In Hindi के दीवाने भी उतने ही हैं जितने की Gulzar Shayari In Hindi के, और ये बात उनके उतने ही चाहे और पसंद किये जाने का सबूत ही है।
आईये देखते है कुछ बेहतरीन और Heart Touching Nida Fazli Shayari In Hindi
Nida Fazli Shayari

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है
Duniya jise kahte hain jaadoo ka khilaona hai
Mil jaaye to mitti hai, kho jaaye o sona hai
दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए
Dushmani laakh sahi, khatm na kije rishta
Dil mile ya na mile haath milate rahiye

बहुत मुश्किल है बंजारा-मिज़ाजी
सलीक़ा चाहिए आवारगी में
Bahot mushkil hai banzara-mizaji
Salika chahiye aawargi mein
अब किसी से भी शिकायत न रही
जाने किस किस से गिला था पहले
Ab kisi se bhi shikayat na rahi
Jaane kis kis se mila tha pahle

हम लबों से कह न पाए उन से हाल-ए-दिल कभी
और वो समझे नहीं ये ख़ामुशी क्या चीज़ है
Ham labon se kah na paaye unse haale dil kabhi
Aur wo samje nahi ye khamoshi kya cheez hai
निदा फ़ाज़ली के दोहे
गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया
होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया
girza mein mandiron mein
Ajaanone mein bant gaya
Hote hi subah aadmi
Khanon mein bant gaya
Nida Fazli Shayari In Hindi

सूरज को चोंच में लिए मुर्ग़ा खड़ा रहा
खिड़की के पर्दे खींच दिए रात हो गई
Sooraj ko chonch mein liye murga khada hai
Khirki ke parde khinch diye raat ho gayi
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
Benaam se ye dard thahar kyun nahi jaata
Jo beet gaya hai, wo guzar kyun nahi jaata
Nnida Fazli shayari on life in hindi

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है
सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है
Koi hindu, koi muslim koi isaai nahi hai
Sab ne insaan n banne ki kasam khaayi hai
उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा
वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा
Uske dushman hain bahot aadmi achchha hoga
Wo bhi meri hi tarah shahar mein tanha hoga
निदा फाजली हिंदी शायरी
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई
Kuchh bhi bacha n kahne ko har baat ho gayi
aao kahin sharaab piye raat ho gayi
हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए
कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए
Har ak baat ko chup chaap kyun suna jaaye
Kabhi to hausla karke nahi kaha jaaye

यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
Yahi hai zindagi kuchh khwab chand ummeedyen
Inhi khilwonon se tum bhi bahal sakho to chalo
निदा फाजली की प्रसिद्ध शायरी
तुम से छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था
तुम को ही याद किया तुम को भुलाने के लिए

Tum se chhoot kar bhi tumhe bhoolna aasaan na thha
Tum ko hi yaad kiya tum ko bhulane ke liye
Sad Love Letter For Girlfriend
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
Safar mein dhoop to hogi jo chal sako to chalo
Sabhi hain bhid mein tum bhi nikal sako to chalo
Nida fazli shayari on love

उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला
Usko rukhsat to kiya thha mujhe maaloom na thha
Sara ghar le gaya chhor ke jaane waala
Nida Fazli Shayari ki duniya mein jana pahchana naam hai, aur kaafi izzat sey unka naam ham sab letey hain. Chahey wo Nida Fazli Two Line Shayari ho ya, Nida Fazli Ki Ghazal, log Nida Fazli Sahab key her andaazey-bayan per mukarrar kahtey hain. Kyunki Nida Fazli ney bahot gahri baateyn bhi behad aasani sey bayan ki hai.
Pesh hai, Best of Nida Fazli Shayari on Life
रात के बाद नए दिन की सहर आएगी
दिन नहीं बदलेगा तारीख बदल जाएगी
हंसते-हंसते थक जाओ तो छुप कर रो
यह हंसी भींग के कुछ और चमक जाएगी
Nida Fazli Shayari About Life
Raat ke baad naye din ki seher aayegi,
Din nahi badlega, tareekh badal jayegi.
Haste haste thak jao, toh chhup kar rolo,
Yeh hansi bheeg ke, kuch aur chamak jayegi.
Top Nida Fazli Shayari In Hindi

कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
कहीं जमीन कहीं आसमां नहीं मिलता
जिसे भी देखिए वो अपने आप में गुम है
जुबां मिलती है मगर हम-जुबां नहीं मिलता
बशीर बद्र की चुनिंदा शायरी
Kabhi kisi ko mukammal jahan nahi milta,
Kahin zameen, kahin aasmaan nahi milta.
Jise bhi dekhiye woh арnе аар mein gum hai,
Zuban milti hai, magar hum-zuban nahi milta.
Shayari By Nida Fazli In Hindi
दिन सलीके से उगा
रात ठिकाने से रही
दोस्ती अपनी भी कुछ
रोज़ ज़माने से रही
चंद लम्हों को ही बनती हैं
मुसव्विर आँखें
ज़िन्दगी रोज़ तो
तसवीर बनाने से रही
Nida Fazli Shayari On Life
कहीं छत थी, दीवारो-दर थे कहीं
मिला मुझको घर का पता देर से
दिया तो बहुत ज़िन्दगी ने मुझे
मगर जो दिया वो दिया देर से
हुआ न कोई काम मामूल से
गुजारे शबों-रोज़ कुछ इस तरह
कभी चाँद चमका ग़लत वक़्त पर
कभी घर में सूरज उगा देर से
कभी रुक गये राह में बेसबब
कभी वक़्त से पहले घिर आयी शब
हुए बन्द दरवाज़े खुल-खुल के सब
जहाँ भी गया मैं गया देर से
ये सब इत्तिफ़ाक़ात का खेल है
यही है जुदाई, यही मेल है
मैं मुड़-मुड़ के देखा किया दूर तक
बनी वो ख़मोशी, सदा देर से
सजा दिन भी रौशन हुई रात भी
भरे जाम लगराई बरसात भी
रहे साथ कुछ ऐसे हालात भी
जो होना था जल्दी हुआ देर से
भटकती रही यूँ ही हर बन्दगी
मिली न कहीं से कोई रौशनी
छुपा था कहीं भीड़ में आदमी
हुआ मुझमें रौशन ख़ुदा देर से
निदा फ़ाज़ली की शायरी
दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती
खैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती
देखा है जिसे मैंने कोई और था शायद
वह कौन था जिससे तेरी सूरत नहीं मिलती
Nida Fazli Shayari On Love
Dil mein na ho jurrat toh mohobbat nahi milti,
Khairat mein itni badi daulat nahi milti.
Dekha hain jise maine, koi aur tha shayad,
Woh kaun tha jis se teri soorat nahi milti.
Gazal By Nida Fazli
कहीं-कहीं से हर चेहरा तुम जैसा लगता है
तुम को भूल न पायेंगे हम, ऐसा लगता है
ऐसा भी इक रंग है जो करता है बातें भी
जो भी इसको पहन ले वो अपना-सा लगता है
Famous Shayari In Hindi By Nida Fazli
तुम क्या बिछड़े भूल गये रिश्तों की शराफ़त हम
जो भी मिलता है कुछ दिन ही अच्छा लगता है
अब भी यूँ मिलते हैं हमसे फूल चमेली के
जैसे इनसे अपना कोई रिश्ता लगता है
और तो सब कुछ ठीक है लेकिन कभी-कभी यूँ ही
चलता-फिरता शहर अचानक तनहा लगता है
Nida Fazli Hindi Ghazal In English Font
Kaheen-Kaheen se har chehara tum jaisa lagata hai
Tumako bhool na paenge aisa lagata hai
Aisa bhee ek rang hai jo karata hai baaten bhe
Jo bhee isako pahan le wo apana sa lagata hai
Tum kyon bichhade bhool gae rishto kee sharaaphat hum
Jo bhee milata hai kuchh din hee achchha lagata hai
Also, Read This Life Shayari
Ab bhee yoo milate hain hamase phool chamelee ke
Jaise inase apana koee rishta lagata hai
Aur to sab kuchh theek hai lekin kabhee-kabhee yoon hee
Chalata phirata shahar achaanak tanha lagata hai
Heart Touching Nida Fazli Shayari

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख हवाओं का जिधर का है, उधर के हम हैं
पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है
अपने ही घर में, किसी दूसरे घर के हम हैं
वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों से
किसको मालूम, कहाँ के हैं, किधर के हम हैं
Behtareen Nida Fazli Shayari -Ghazal
तन्हा – तन्हा हम रो लेंगे, महफ़िल महफ़िल गाएंगे
जब तक आंसू साथ रहेंगे तब तक गीत सुनाएंगे
तुम जो सोचो वह तुम जानो हम तो अपनी कहते हैं
देर न करना घर जाने में वरना घर खो जाएंगे
Nida Fazli Best Lines
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर वह भी हम जैसे हो जाएंगे
किन राहों से दूर है मंज़िल, कौन सा रस्ता आसाँ है
हम जब थक कर रुक जाएंगे, औरों को समझाएंगे
अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर दिल हों, मुमकिन है
हम तो उस दिन राय देंगे जिस दिन धोखा खाएंगे
Nida Fazli Poems – Nida Fazli Shayari – Nida Fazli Ghazal
Tanha tanha ham ro lenge, mehfil mehfil gaayenge
Jab tak aansuu saath rahenge tab tak geet sunaayenge
Tum jo scho, voh tum jaano, ham to apni kahti hain
Der na karna ghar jaane mein varna ghar kho jaayenge
Bachchon ke chhote haathon ko chaand sitaare chhuune do
Chaar kitaabein padh kar voh bhi ham jaise ho jaayenge
Kin raahon se door hai manzil, kaun sa rasta aasaan hai
Ham jab thhak kar ruk jaayenge, auron ko samjhaayenge
Achchii surat wale saare patthar dil hon, mumkin hai
Ham to us din raay denge jis din dhoka khaayenge
Famous Shayari Of Nida Fazli
हुआ न कोई काम मामूल से
गुजारे शबों-रोज़ कुछ इस तरह
कभी चाँद चमका ग़लत वक़्त पर
कभी घर में सूरज उगा देर से
कभी रुक गये राह में बेसबब
कभी वक़्त से पहले घिर आयी शब
हुए बन्द दरवाज़े खुल-खुल के सब
जहाँ भी गया मैं गया देर से
Nida Fazli Shayari In Hindi
ये सब इत्तिफ़ाक़ात का खेल है
यही है जुदाई, यही मेल है
मैं मुड़-मुड़ के देखा किया दूर तक
बनी वो ख़मोशी, सदा देर से
सजा दिन भी रौशन हुई रात भी
भरे जाम लगराई बरसात भी
रहे साथ कुछ ऐसे हालात भी
जो होना था जल्दी हुआ देर से
Nida Fazli Shayari
भटकती रही यूँ ही हर बन्दगी
मिली न कहीं से कोई रौशनी
छुपा था कहीं भीड़ में आदमी
हुआ मुझमें रौशन ख़ुदा देर से
कहीं छत थी, दीवारो-दर थे कहीं
मिला मुझको घर का पता देर से
दिया तो बहुत ज़िन्दगी ने मुझे
मगर जो दिया वो दिया देर से
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