Loan Ki EMI Nahi Chukane Se Kya Hota Hai? लोन की EMI नहीं चुका पायें तो क्या होगा?
जब कोई व्यक्ति अपने पर्सनल लोन की ईएमआई चुका नहीं पाता है तो ऐसे में उसका क्या होता है और कानून क्या हो सकता है आइए जानते हैं इस आर्टिकल में.
जब कोई व्यक्ति अपने पर्सनल लोन की EMI नहीं चुका पाता है तो ऐसे में पर्सनल लोन लेते वक्त जिस समझौता का उसने पालन करने की सहमती दी थी, उसका वह उललंघन करता है. और ऐसे में बैंक उसपे कनुनी करवाई कर सकता है.
इतना ही नहीं बल्कि इसके साथ ही उस व्यक्ति के लिए भविष्य में कभी पर्सनल लोन का मिलाना कफी मुश्किल हो जाता है.
Loan Ki EMI Nahi Chukane Se Kya Hota Hai?

जब कोई आदमी अपने पर्सनल लोन की EMI या पर्सनल लोन को चूका पाने में डिफ़ॉल्ट करता है तो इसमे बैंक के पास कुछ विकल्प होते हैं और उनमें से एक रास्ता अदालत में मुकद्दमा करने का भी होता है.
ज़्यादातर ऐसे मामले में यही देखा गया है कि. अदालत लोन लेने वाले को पूरा पैसा लौटने को कहता है या फिर उस डिफॉल्टर को जेल तक हो सकती है.
लोन डिफाल्टर की क्रेडिट रेटिंग भी डाउनग्रेड हो जाती है., और इसलिए उसे आगे भविष्य में कभी लोन नहीं मिल सकता है.
Loan Ki EMI Nahi Chukane Se Kya Hota Hai? इसकी कानूनी प्रक्रिया क्या है, आइये जानते हैं.
जब कोई आदमी लोन नहीं चुका पता है या अपने EMI नहीं जमा करता है तो बैंक या वो संस्थान जहाँ से उसने लोन लिया है, के पास मौजूद विकल्पों में से एक मुकदमा करने का भी होता है. मुकदमा जीतने पे अदालत देनदार को लोन, ब्याज और अदालती लागतों का भुगतान करने का आदेश देती है.
इसके अलावा और क्या -क्या होता है वो भी देख लेते हैं.
लोन के EMI नहीं देने पे आपका सिबिल स्कोर प्रभावित होता है
जब कोई लोन के EMI को जमा नहीं करता है तो इसकी सुचना तुरंत सीआईबीआईएल और इक्विफैक्स जैसे क्रेडिट ब्यूरो को मिल जाती है. और इसका सीधा सा असर आपके क्रेडिट रिपोर्ट और सिबिल स्कोर पे पड़ता है. और जब आपका सिबिब्ल स्कोर खराब होता है तो आगे आपको लोन मिलना और मुश्किल हो जाता है.
आपके ऊपर और गारंटर के ऊपर होने वाले प्रभाव
जब आप लोन की EMI या लोन नहीं चूका पाते हैं तो ऐसे में जिस व्यक्ति ने आपके गारंटर के तौर पे साइन किये होते हैं, उनका भी सिबिल स्कोर खराब होता है और आपको बैंक से अनचाहे कॉल्स का आना चुरू हो जाता है.
ये एक अत्यंत परेशानी और दुःख भरे दिनों की शुरुआत होती है. आपको अंदाजा तक नहीं हो सकता है कि, लोन के EMI को जमा नहीं करने पे आपके दिन कैसे बुरे से बदतर होने लगते हैं.
वसूली एजेंटों से कॉल जब तक आपको न आयें, तब तक सब कुछ ठीक रहता है. लेकिन उनके कॉल अगर एक बार आ गए तो फिर आगे का तो भगववान ही मालिक होता है.
और ये कॉल्स सिर्फ आपको नहीं बल्कि आपके गारंटर को भी किये जा सकते हैं और कुछ मामलों में तो यहाँ तक देखा गया है, कि, लोन लेने वाले के तमाम रिश्तेदारों को भी वसूली ववालों के फोने आते हैं.
जाहिर है कि, इ कोई आसान अनुभव नहीं हो सकता किसी के लिए.
आपकी आर्थिक चिंताएं बढती रहती हैं – Loan Ki EMI Nahi Chukane Se Kya Hota Hai?
जब आप EMI समय पे नहीं देते है तो ऐसे में देर के चलते लेन वाले भुगतान शुल्क, दंड, कानूनी लागत जैसी लागतें आपके बकाया लोन राशि में जोड़ दी जाती हैं.
और इससे आपका कुल बकाया राशि लिए गए लोन की तुलना में बहुत अधिक हो जाती है. लोन के समझौतों, दंड, अदालती खर्चे और अस्थिर बकाया लोन के आधार पर, उधारकर्ता की राशि उधार ली गई राशि की तुलना में कई गुना बढ़ जाती है. संबंधित इकाई के समाधान में लोन लेने वाले के खिलाफ मुकदमा शामिल हो सकता है.
ऐसे में बैंक या लोन देने वाली कंपनी अपने खर्चों को पूरा करने के लिए एकतरफा ऋण राशि पर एकतरफा ग्रहणाधिकार लगा सकती हैं, और लगाती भी हैं.
देख रहे हैं आप क्या से क्या हो जाता है लोन की EMI नहीं देने पे.
अब देखते हैं कि लोन की EMI न देने की सूरत में आप क्या कर सकते हैं?
अपने बैंक के साथ बात करके अपनी समस्या बताइये
देखिये हर समस्या का हल होता है. अगर आप अपने लोन की EMI देने में असमर्थ हैं तो अपने बैंक से इस ब्बारे में बात करें. उन्हें अपनी समस्या से अवगत कराएं और उनसे थोडा समय मांगे. हो सकता है कि, बैंक आपको समय देने पे राज़ी हो जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर आप किसी मध्यस्थता के माध्यम से बैंक के साथ एक समझौता कर सकते हैं.
आपका बैंक एक भुगतान योजना की सुविधा प्रदान कर सकता है अगर वो खाता बंद कर देते हैं, तो आप एक साथ वैकल्पिक समाधान निकाल सकते हैं.
ईएमआई का भुगतान नहीं करने के परिणाम
जब कोई व्यक्ति अपनी EMI का भुगतान करने में असफल रहता है, तो उन्हें अपनी संपत्ति जब्त करने या कानूनी कार्याही के जैसे परिणामों का सामना करना पड़ सकता है. कुछ मामलों में, ईएमआई का भुगतान करने में फेल होने से वो दिवालिया भी हो सकता है. लोन डिफाल्टर से बैंक मजदूरी भी करवा सकती है.
लोन डिफॉल्टर का कानून 2022 क्या है?
भारतीय कानून लेनदारों को उन पर बकाया लोन की वसूली करने के लिए संपत्ति को जब्त करने या डिफाल्टर से मजदूरी कराने जैसे कदम उठाने की अनुमति देता है.
ये एक कानूनी ढांचा है जो बैंक्स और लोन देने वालों को उन लोन लेने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है जो अपना लोन नहीं चुका पाते हैं या नहीं चुकाना चाहते हैं.
ये क़ानून उन्हें अपने निवेश की रक्षा करने में मदद करता है और साथ ही ये भी सुनिश्चित करता है कि उनका जो बकाया है उसे चुकाया जाए.
अगर आपने लोन के लिए कुछ गिरवी रखा है तो बैंक को बकाया ऋण राशि की वसूली के लिए गिरवी रखी गई संपत्ति की नीलामी करने का पूरा अधिकार रहता है.
बैंक अपना बकाया लोन व्वासूलने के लिए लोन लेने वाले के खिलाफ कानूनी मामला भी दर्ज कर सकता है, वैसे किसी भी कानूनी कार्रवाई से पहले लोन की बकाया राशि को चुकाने के लिए लोन लेने वाले को आम तौर पर 1-2 महीने का समय दिया जाता है.
हमारे देश का कानून ये निर्धारित करता है कि बैंक किसी को दिए गए लोन की वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं, और इसमें डिफाल्टर की संपत्ति जब्त करना और कई भुगतान चूकने वाले उधारकर्ताओं को गिरफ्तार करना भी शामिल है.
और ये भी न भूलें कि, कानून सरकार को ऐसे लोन न चुकाने वालों को ब्लैक लिस्ट में डालने की भी अनुमति देता है, और जिसकी वजह से वो लाख कोशिश करें उन्हें कहीं से फिर कभी भी लोन नहीं मिलता है.
उम्मीद है कि, आपको Loan Ki EMI Nahi Chukane Se Kya Hota Hai? पोस्ट उपयोगी लगी होगी.