रत्ना पाठक शाह को अपनी राय देने में डर लगता है

रत्ना पाठक शाह को अपनी राय देने में डर लगता है। पठान पिक्चर के विवादों के बीच रत्ना पाठक शाह को अब ये  डर है कि नसीरुद्दीन शाह के किसी बयान देने से कुछ झमेला न हो जाय। 

अपने मन की कुटिल बातें कहने के लिए जानी जाने वाली किसी जमाने की अभिनेत्री और भारत में दर लगने वाले नसीरुद्दीन शाह की बेगम रत्ना पाठक शाह अपनी राय शेयर करने में डर लगता है।

अभी कुछ ही दिनों पहले अपने एक इंटरव्यू में हिन्दू मान्यताओं का मज़ाक उड़ाने वाली रत्ना पाठक शाह को अचानक से कुछ कहने पे डर सताने लगा है। 

रत्ना पाठक शाह को अपनी राय देने में डर लगता है
रत्ना पाठक शाह को अपनी राय देने में डर लगता है

मानो, इस गुज़रे ज़माने की पिछली इंटरव्यू के बाद इनके घर पे लोगों ने हमला कर दिया था। क्या मज़ाक है ये ?

भारत्त में रहके भारत्त के खिलाफ बोलने वाले ये लोग अपनी एजेंडा के लिए कुछ भी कह सकते हैं और ऐसा ही रत्ना पाठक शाह ने एक बबार फिर किया है।

बेगम रत्ना पाठक शाह को अब अचानक अपनी राय रखने का डर है और वो नसीरुद्दीन शाह को भी कोई विवादास्पद बयान देने से रोकती हैं: “कोई आ जायेगा घर पे पत्थर डालने”

अरे ये तो बता की, जब नसीरुद्दीन शाह यानी आपके शौहर ने भारत और हिन्दुओं के खिलाफ ज़हर उगला था तब कितने पत्थर ीरे थे आपके घर में। 

और अभी करवा चौथ पे आपने जो अपनी राय दी थी उसके बाद कितने लोग आये थे पत्थर बरसाने आपके घर में? 

आपको अपनी कुटिल बातें और देश के अनहित में कुछ भी कहने की आज़ादी है दादी जी तबभी तो आप आसानी से कुछ भी कह लेती हो और पाल मीडिया आपके बयान को पैसे लेकर लोगों तक पहुंचता रहता है। अगर डर होता तो मुँह कहाँ खोल पाते तुम लोग?

अभी रत्ना पाठक ने कहा है की उनके पति नसीरुद्दीन शाह विभिन्न विषयों पर स्पष्ट रूप से अपनी राय देते हैं. और नसीरुद्दीन की बेबाक राय ने उन्हें बहोत बार मुश्किल में भी डाल दिया है. और इसलिए अब वो उन्हें इस तरह के बयान देने से रोकने की कोशिश करती है.

अच्छा !!! सच में ???? अले वाह !!!! आप कित्ती बुद्धिमती हों नसीर की बेगम!!!!

एक इंटरव्यू  में , रत्ना पाठक ने कहा कि कैसे वह अपने पति नसीरुद्दीन को अपनी राय देने से रोकती हैं जो उन्हें परेशानी में डाल सकती हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ‘आज के जमाने में कोई आ कर खड़ा हो जाएगा घर पर हमारे, पत्थर डालने. वैसे भी काम मिलना इतना मुश्किल हो गया है, इन दिनों काम न मिलने के कई कारण हैं. इसलिए, किसी को समझदार होना चाहिए … लेकिन डर नहीं, अगर यह संभव है.”

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रत्ना ने और कहा, “डर लगता है, लेकिन क्या करे, अगर दुनिया में जो गलत हो रहा है उसे कोई पॉइंट आउट नहीं करेगा, तो वो सुधरेगा कैसे? हम मूर्ख नहीं हैं, अभी तक तो नई दूबी नहीं है, आगे देखेंगे क्या होगा.”

दादी मान इत्ता डर लगता है तो शांतिप्रिय देश जैसे, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक़ चली जाओ न! वहां आपको अपने जैसे लोग भी मिल जाएंगे फिर उसके बाद गलबहियां करके उनके साथ आगे की ज़िन्दगी गुज़ार देना मियां बीवी दोनों।

कियूं खामख्वाह यहाँ इतने डर के माहौल में घुट घुट के जी रही हो?

अरे शर्म करो! काम से काम अपनी उम्र का और ज़हर उगलने से बाज आओ दादी जी !   

 

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