सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं

~ Ahmad Faraz Ki Shayari ~

अहमद फ़राज़ शायरी

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

~ Ahmad Faraz Ki Shayari ~

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

~ Ahmad Faraz Ki Shayari ~

The famous ghazal of Faraz

तुझ से मिल कर तो ये लगता है कि ऐ अजनबी दोस्त तू मिरी पहली मोहब्बत थी मिरी आख़िरी दोस्त

~ Ahmad Faraz Ki Shayari ~

हम तिरे शौक़ में यूँ ख़ुद को गँवा बैठे हैं जैसे बच्चे किसी त्यौहार में गुम हो जाएँ

~ Ahmad Faraz Ki Shayari ~

न मिरे ज़ख़्म खिले हैं न तिरा रंग-ए-हिना मौसम आए ही नहीं अब के गुलाबों वाले

~ Ahmad Faraz Ki Shayari ~

इक तो हम को अदब आदाब ने प्यासा रक्खा उस पे महफ़िल में सुराही ने भी गर्दिश नहीं की

~ Ahmad Faraz Ki Shayari ~

तेरे होते हुए आ जाती थी सारी दुनिया आज तन्हा हूँ तो कोई नहीं आने वाला

~ Ahmad Faraz Ki Shayari ~

Ahmad Faraz 2 Lines Shayari