अमिताभ बच्चन जिन्हें गाहे-बगाहे बोलना पड़ जाता है अक्सर कुछ ऐसा बोल जाते हैं जो शायद उनके अपने विचार से मेल खाते हों या
शायद न खाते हों, लेकिन क्यूंकि जब बोलने के पैसे मिलते हों, तो फिर बोलना मजबूरी भी हो जाती है. अभी 28th Kolkata International Film Festival में
अमिताभ ने एक बार इर कुछ ऐसा ही कहा. शाहरूख खान के पठान के boycott के बारे में दद्दू खान के दर्द से इत्तिफाक़ रखते हुए
अमिताभ बच्चन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में कहा कि, इस पे आज भी लोग सवाल उठाते हैं. हद तो ये थी कि, ये बात अमिताभ ने उस राज्य (वेस्ट बंगाल)
में कहा जहाँ दीदी के बारे में कुछ भी कहने पे पुलिस सीधे घर से उठा के ले जाती है और इसमें इस "घंटा" महानायक की मजबूरी ही रही होगी कि
इन्हें ये बोलना पड़ा. इस महानायक की अभिव्यक्ति उस वक़्त लकवा मार के बैठी थी जब सुशांत सिंह का निधन हुआ था. और उस वक़्त भी जब
बॉलीवुड के सितारों को ड्रग्स के आरोपों में नारकोटिक्स पूछताछ कर रही थी. ऐसा है बड़े दद्दू कि आप बोलने से पहले थोडा सा अगर सोच लिया करें तो फिर
आपका रायता कम फैलेगा और आपको समेटने में साहूलियत होगी. वैसे आपका ट्विटर अकाउंट तो suspend नहीं हुआ है न अब तक? ज़रा संभल के ...