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करना ही पड़ेगा ज़ब्त-ए-अलम पीने ही पड़ेंगे ये आँसू फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ से ऐ नादाँ तौहीन-ए-मोहब्बत होती है ~ सबा अफ़ग़ानी ~
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घास में जज़्ब हुए होंगे ज़मीं के आँसू पाँव रखता हूँ तो हल्की सी नमी लगती है ~ सलीम अहमद ~
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आँसू आँसू जिस ने दरिया पार किए क़तरा क़तरा आब में उलझा बैठा है ~ मशकूर हुसैन याद ~
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आँख कम-बख़्त से उस बज़्म में आँसू न रुका एक क़तरे ने डुबोया मुझे दरिया हो कर ~ अज्ञात ~
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ये बे-सबब नहीं आए हैं आँख में आँसू ख़ुशी का लम्हा कोई याद आ गया होगा ~ अख़्तर सईद ख़ान ~
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आरिज़ों पर ये ढलकते हुए आँसू तौबा हम ने शोलों पे मचलती हुई शबनम देखी ~ जोश मलसियानी ~
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दिल की हर बात कह गए आँसू गिर के आँखों से रह गए आँसू ~ सय्यद बासित हुसैन माहिर लखनवी ~
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इन्ही हैरत-ज़दा आँखों से देखे हैं वो आँसू भी जो अक्सर धूप में मेहनत की पेशानी से ढलते हैं ~ जमील मज़हरी ~