कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी

fulltoshayari.in

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी

वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है 

fulltoshayari.in

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी

हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है दुश्नाम तो नहीं है ये इकराम ही तो है 

fulltoshayari.in

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो 

fulltoshayari.in

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी

तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं 

fulltoshayari.in

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी

दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के 

fulltoshayari.in

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी

उठ कर तो आ गए हैं तिरी बज़्म से मगर कुछ दिल ही जानता है कि किस दिल से आए हैं 

fulltoshayari.in

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी

नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही

fulltoshayari.in

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी