दो टके की फिल्म "आदिपुरुष" के दो टके के राइटर मनोज मुन्तशिर को अब "बुआ का बगीचा" अँधेरा और काफी डरावना दिख रहा है.

किसी घटिया फिल्म के घटिया संवाद की तर्ज़ पे लिखे मनोज मुन्तशिर को अब "जलेबी तेरे बाप की" कडवी लगने लगी है. और आम जनता के रोजाना बढ़ते 

प्यार से घबराके मनोज ने अब पुलिस से अपने बगीचे को बचाने की गुज़ारिश की है. बेटा लिखने से पहले वो शीशी वाली दवाई न पी होती तो आज ये नौबत न आती !

लेकिन ऐसा कहाँ मुमकिन हो पाता है. ये शख्श आस्तीन का वो सांप है, जिसे आप बहोत देर से नोटिस करते हो. मनोज को  "जलेबी तेरे बाप की"महंगी पड़ी  

मुंबई की पुलिस ने ये कन्फर्म किया है कि, मनोज मुन्तशिर ने सुरक्षा की "गु - हार" लगाई है. अब देखना ये है कि, इस "गु - हार" की बाद मनोज की सोच में क्या बदलाव आता है. 

इसकी उम्मीद कम है क्यूंकि इसकी बीवी भी देश के गद्दारों को जन्मदिन की बधाईयाँ देती दिखती है. जाहिर है कि ऐसे में इन दोनों का वही हाल होने वाला है 

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जो असल में होना चाहिए. और इसमें बहोत देर लगती नहीं दिखती है. मनोज जो अपने आप को एक महान राइटर समझता है, 

असल में अपनी "बुआ के बगीचे" में पड़ा एक सड़ रहा पत्ता है और उससे ज्यादा कुछ भी नहीं स्टोरी शेयर ज़रूर करें