Mirza Ghalib ने ख़ुद अपने बारे में कहा था -

हैं और भी दुनिया में, सुखनवर बहोत अच्छे कहते हैं के, ग़ालिब का है अंदाज़े-बयाँ और

Mirza Ghalib Shayari

मिर्जा गालिब के शेर, शायरी और ग़ज़ल हमेशा दोहराए जायेंगे

तेरे वादे पर जिये हम तो यह जान,झूठ जाना कि ख़ुशी से मर न जाते अगर एतबार होता

Amazing Mirza Ghalib Shayari

जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा, कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है

Ghalib Shayari For Your Soul

बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है

गालिब का अंदाज़े - बयाँ

न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता

गालिब की बेमिसाल शायरी

मोहब्बत में नही फर्क जीने और मरने का उसी को देखकर जीते है जिस ‘काफ़िर’ पे दम निकले

गालिब की अदायगी तो  देखिये ज़रा  

तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब के सारी उम्र अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे

Mirza Ghalib आज भी  हम सब में ज़िन्दा हैं

हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल के खुश रखने को ग़ालिब यह ख्याल अच्छा है