हज़ारों काम मोहब्बत में हैं मज़े के 'दाग़' जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते हैं दाग़ देहलवी
गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह बासिर सुल्तान काज़मी
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है जिगर मुरादाबादी
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया शकील बदायूनी
मोहब्बत करने वाले कम न होंगे तिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे हफ़ीज़ होशियारपुरी
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है जमाल एहसानी
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी नासि
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई नुशूर वाहिदी