तसव्वुर में भी अब वो बे-नक़ाब आते नहीं मुझ तक क़यामत आ चुकी है लोग कहते हैं शबाब आया हफ़ीज़ जालंधरी
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे जौन एलिया
हम आप क़यामत से गुज़र क्यूँ नहीं जाते जीने की शिकायत है तो मर क्यूँ नहीं जाते महबूब ख़िज़ां
हुस्न आफ़त नहीं तो फिर क्या है तू क़यामत नहीं तो फिर क्या है जलील मानिकपूरी
ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का 'फ़राज़' ज़ालिम अब के भी न रोएगा तो मर जाएगा अहमद फ़राज़
दिल तो पहले ही जुदा थे यहाँ बस्ती वालो क्या क़यामत है कि अब हाथ मिलाने से गए ईमान क़ैसरानी
लगावट की अदा से उन का कहना पान हाज़िर है क़यामत है सितम है दिल फ़िदा है जान हाज़िर है अकबर इलाहाबादी
वो मुझ से बढ़ के ज़ब्त का आदी था जी गया वर्ना हर एक साँस क़यामत उसे भी थी मोहसिन नक़वी