Rahat Indori Shayari 

राहत इन्दोरी साहब के शेर और शायरी में एक तंज़ रहता आया है और जो पूरी तरह से हालात और एहसासों के साथ खपते हुए नज़र आते हैं.

मेरे हुजरे में नहीं, और कहीं पर रख दो आसमां लाए हो, ले आओ, ज़मीन पर रख दो अरे यार कहां ढूंढने जाओगे हमारे कातिल आप तो कत्ल का इल्ज़ाम हमी पर रख दो

जुबाँ तो खोल, नज़र तो मिला,जवाब तो दे में कितनी बार लुटा हूँ , मुझे हिसाब तो दे

हिसाब लेना तो बनता है 

हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते है मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं

भारत्त की परम्परा पे 

पहले मैंने अपने दरवाजे पर खुद आवाज दी फिर थोड़ी देर में खुद निकल कर आ गया

अकेलेपन का तल्ख़ बयां  Rahat Sahab ka

सूरज,सितारे,चाँद,मेरे साथ में रहे जब तक तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में रहे

इश्क और माशूका के लिए Rahat Sahab Bharosa 

बुलंद जज़्बात - बुलंद इरादे 

शाखों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम आँधी से कोई कह दो, कि औकात में रहे

बेबसी का आलम  इससे ज़्यादा क्या होगा?

घर से यह सोचकर निकला हूं कि मर जाना है अब कोई राह दिखा दे कि किधर जाना है