साहिर लुधियानवी की तल्खियत में रूमानियत और रूमानियत में तल्खी झलकती थी. पेश हैं, कुछ अमर शेर उनके

Sahir Ludhianvi Shayari

लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उमीद लो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम

 Sahir Ludhianvi ने गिला भी किया तो यूँ

अरे ओ आसमाँ वाले बता इस में बुरा क्या है ख़ुशी के चार झोंके गर इधर से भी गुज़र जाएँ

साहिर लुधियानवी की ऊपर वाले से शिकायत

जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया जो खो गया मैं उस को भुलाता चला गया

साहिर कहते है, हर हाल में खुश रहिये

हम जुर्म-ए-मोहब्बत की सज़ा पाएँगे तन्हा जो तुझ से हुई हो वो ख़ता साथ लिए जा

इश्क में बेबसी का आलम यूँ बयां किया साहिर ने

लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उम्मीद लो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम

उम्मीदें न हो तो शिकायतें ख़ुद नहीं होती

फिर न कीजे मिरी गुस्ताख़-निगाही का गिला देखिए आप ने फिर प्यार से देखा मुझ को

साहिर लुधियानवी की लाज़वाब मासूमियत

जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग

Sahir Ludhianvi लोगो के दो चेहरे पे यूँ तंज़  करते हैं