Sarfaraz Khan, भारतीय क्रिकेट का एक ऐसा नाम है, जिसे सुनकर भारतीय क्रिकेट और BCCI के कर्ता धर्ताओं को चुल्लू भर पानी में 

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डूब के मर जाना चाहिए. सरफराज़ खान शब्दों के मामले में काफी कंजूस हैं और उर्न्होने, अपने रनों के अम्बार के साथ हुई  

नाइंसाफी पे कभी भी अपना ग़म खुल के जाहिर नहीं किया. वो खामोश रहते हैं और बस उनका बल्ला चीखता रहता है.

लेकिन हमारे चयनकर्ताओं को न तो सुनाई देता है और न ही दिखाई. Sir Don Bradman के बाद सबसे ज्यादा औसत से रन बनाने वाले 

सरफ़राज़ खान को अब और क्या करना पड़ेगा कि उन्हें टीम में जगह मिल सके? मुझे लगता है, उन्हें कुछ tattoos बनवाने पड़ेंगे अपने शरीर पे 

ताकि, उनकी बल्लेबाजी भले ही कैसी भी हो, बड़े - बड़े स्पोंसोर्स को वो cool लगें और फिर वो BCCI पे दवाब बना सके 

सरफ़राज़ को टीम में लेने की और उनसे अपना विज्ञापन बनवा सकें. अब भई, बिना टैटूज के आप अच्छे क्रिकेटर कैसे बन सकते हो?

लेकिन सरफराज़ भाई, आप जैसा खेल रहे हो, खेलते रहो. और अपनी ख़ामोशी को भी बनाए रखो. बस बवंडर आने ही वाला है.