ये अदा-ए-बे-नियाज़ी तुझे बेवफ़ा मुबारक मगर ऐसी बे-रुख़ी क्या कि सलाम तक न पहुँचे
शकील बदायुनी की रूहानी शायरी
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है
शकील बदायुनी की रूहानी शायरी
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
शकील बदायुनी की रूहानी शायरी
नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे
शकील बदायुनी की रूहानी शायरी
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
शकील बदायुनी की रूहानी शायरी
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मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत
के मज़े पैहम
मोहब्बत जितनी बढ़ती है शिकायत
होती जाती है
शकील बदायुनी की रूहानी शायरी
उन्हें अपने दिल की ख़बरें मिरे दिल से मिल रही हैं मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे
शकील बदायुनी की रूहानी शायरी
उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद वक़्त कितना क़ीमती है आज कल
शकील बदायुनी की रूहानी शायरी
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