ये ज़िंदगी कुछ भी हो मगर अपने लिए तो कुछ भी नहीं बच्चों की शरारत के अलावा अब्बास ताबिश
जिस ने तिरी आँखों में शरारत नहीं देखी वो लाख कहे उस ने मोहब्बत नहीं देखी शहज़ाद अहमद
होश आते ही हसीनों को क़यामत आई आँख में फ़ित्नागरी दिल में शरारत आई दाग़ देहलवी
बंद कर के मिरी आँखें वो शरारत से हँसे बूझे जाने का मैं हर रोज़ तमाशा देखूँ परवीन शाकिर
जो कुछ इशारे होते हैं सब देखता हूँ मैं सारी शरारत आप की मेरी नज़र में है निज़ाम रामपुरी
मैं अपने सारे सवालों के जानता हूँ जवाब मिरा सवाल मिरे ज़ेहन की शरारत है सईद नक़वी
मैं शर की शरारत से तो होश्यार हूँ लेकिन अल्लाह बचाए तो बचूँ ख़ैर के शर से पिन्हाँ
वो जो मिलते थे कभी हम से दिवानों की तरह वो मोहब्बत वो शरारत मुझे याद आती है मजरूह सुल्तानपुरी