इक तुम थे जो चंद दिनों में ही दूर हो गए इक ये दर्द है जो जाने का नाम नहीं लेता
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कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
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अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
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तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो
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तुम क्या जानो अपने आप से कितना मैं शर्मिंदा हूँ छूट गया है साथ तुम्हारा और अभी तक ज़िंदा हूँ
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चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया
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किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में मिरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं
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अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को मैं ने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं
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